व्हाट्सएप
पहले तो बस इतना ही सुकून था कि स्टेटस डालो और गिनती देखों—
“कितने लोगों ने देखा?”
फिर पता नहीं किस दिन डेवलपर साहब को भावुकता आ गई और लाइक वाला दिल जोड़ दिया।
अब मन वहीं अटका रहता —
“किसने दिल लगाया… और किसका दिल पत्थर साबित हुआ?”
लेकिन बात यहीं खत्म कहाँ होती है!
अब तो री-स्टेटस वाला नया तमाशा भी आ गया है —
मतलब अब सिर्फ देखने और लाइक करने से बात नहीं बनेगी,
अब तो यह भी देखना पड़ेगा—
“किसने मेरे स्टेटस को कॉपी-पेस्ट… ओह सॉरी, री-स्टेटस किया?”
अब बेचारा इंसान करे तो करे क्या?
ज़िंदगी में पहले ही लाखों चिंताएँ थीं
उस पर अब यह नया डिजिटल भावनात्मक विभाग भी खुल गया है।
सच में,
“इंसान नहीं…
अब स्टेटस, लाइक, व्यू और री-स्टेटस के बीच फँसा हुआ एक डिजिटल प्राणी है।”
वाह व्हाट्सएप,
तू नहीं बदला — तूने हम सबको बदल दिया। 😄📱
✍️ दिलीप
